aashay spasht kijiye

shok karne, gam manane ke liye bhi sahuliyat chahiye aur... dukhi hone ke liye bhi ek adhikar hota hai
 

Hi!
आपके द्वारा दी गई पंक्ति का आशय यह है कि किसी अपने की मृत्यु पर शोक मनाने के लिए व गम मनाने के लिए अच्छी सुविधाएँ हों तभी व्यक्ति पूरी तरह शोक मना सकता है वरना उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ी हुई हो तो वह शोक को छोड़कर अपने काम-काज में लग जाएगा अर्थात यदि व्यक्ति धनी है तो वह फिर बेहोश हो या खाना ना खाए या फिर रोता रहे, उसे पता है अगर वह कुछ काम नहीं करेगा तो उसका कुछ बिगड़ने वाला नहीं है परन्तु यदि यह परिस्थिति किसी गरीब के घर हो तो वह इस तरह ना तो बेहोश होगा या ना ही कई दिनों तक शोक मनाएगा क्योंकि वह यह भली-भांति जानता होगा कि यदि वह इस तरह करता रहा तो वह और उसका सारा परिवार भूखे मरेगा। वह अपने दुख को छुपाकर अपने काम-काज में लग जाएगा। दूसरे दुख मनाने का अधिकार होता है, इस पंक्ति के द्वारा वह समाज के उन लोगों पर व्यंग कसता है जो ऐसे समय पर काम करने वाले व्यक्ति को घृणा की दृष्टि से देखते हैं। वह यह नहीं सोचते की कोई ऐसे समय पर दुख को छोड़कर क्यों काम पर आता है। उसकी मजबूरी उससे यह करवाती है। इसलिए दुख मनाने का अधिकार तो आर्थिक रूप से संपन्न व्यक्ति को है, गरीब को नहीं।
 
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढेरों शुभकामनाएँ!

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