" AAZAD HONE KE BAAD SABSE MUSHKIL KAAM HE AAZADI KO BANAYE RAKHNA" AASHAY SPASHT KIJIYE

आज़ाद तो सब हो जाते हैं। परन्तु इतने साल गुलाम होने के बाद हमारी मानसिकता गुलाम हो जाती है कि हम आज़ादी से जी ही नहीं पाते। हम चाहते न चाहते गुलामी का जीवन जीते हैं। इसलिए लेखक ने कहा कि आज़ादी होने के बाद सबसे मुश्किल काम आज़ादी को बनाए रखना है। हम ऐसी मानसिकता के साथ बड़े होते हैं कि हमें पता ही नहीं चलता कि हम गुलाम है। आज भारत में लोग विदेशी वस्तुओं संस्कृति से इतना आकर्षित हैं कि उनके गुलाम बनते जा रहे हैं। परन्तु उसे अपनाना वह आज़ादी मानते हैं। सत्य यह है कि हम कहीं-न-कहीं उस संस्कृति के गुलाम बनकर रह गए हैं।

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