(Anaupcharik patra)
Vidhyarthi jeevan mein ahankar ka koi mehtv nahin hain iske baare mein samajhate hue chhote bhai/behen ko patra likhen.

मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
पता ...........
दिनांक ........

प्रिय भाई!
बहुत प्यार,
कल पिताजी से पता चला कि तुम्हारे और अमर के मध्य कहा सुनी हो गई है। गलती तुम्हारी थी मगर तुम उसे मानने को तैयार नहीं हो। भाई यह सही नहीं है। इतना अहंकार एक विद्यार्थी के लिए अच्छा नहीं है। अहंकार विद्यार्थी के भविष्य को नष्ट कर सकता है। अहंकार मनुष्य के पतन का कारण होता है। तुम जितना अपनो के मध्य झुकोगे, उतना बड़े बनोगे। अहंकार हमारे लिए सही नहीं है। यह वह भाव है, जिसने रावण जैसे विद्वान का नाश कर दिया। अतः अहंकार का त्याग कर और आगे बढ़ो। देखना सब तुम्हारे होगें।
आशा करता हूँ कि तुम मेरी बात मानोगे और अहंकार का त्याग करोगे। घर में सबको मेरा प्रणाम कहना। 

तुम्हारा भाई
राज

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