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प्रिय मित्र!
हम आपके प्रश्न के लिए अपने विचार आरंभ करके दे रहे हैं। आप इसकी सहायता से अपना उत्तर विस्तारपूर्वक लिख सकते हैं।
बिहारी ने अपनी परेशानियाँ दूर करने के लिए ईश्वर से गुहार लगाई। बिहारी आडम्बर को नहीं मानते थे। उनके अनुसार ईश्वर प्राप्ति के लिए मंदिर मस्जिद जाने की आवश्यकता नहीं है। बिहारी के अनुसार ईश्वर हमारे अंदर है। तिलक लगाने, माला फेरने या आवाज़ लगाने से ईश्वर नहीं मिलेगा। बिहारी ईश्वर के ऊपर ही सबकुछ छोड़ देते हैं। कहते हैं कि ईश्वर उनके पिता के जैसे हैं। वे ही सारे कष्ट दूर करेंगे।
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बिहारी ने अपनी परेशानियाँ दूर करने के लिए ईश्वर से गुहार लगाई। बिहारी आडम्बर को नहीं मानते थे। उनके अनुसार ईश्वर प्राप्ति के लिए मंदिर मस्जिद जाने की आवश्यकता नहीं है। बिहारी के अनुसार ईश्वर हमारे अंदर है। तिलक लगाने, माला फेरने या आवाज़ लगाने से ईश्वर नहीं मिलेगा। बिहारी ईश्वर के ऊपर ही सबकुछ छोड़ देते हैं। कहते हैं कि ईश्वर उनके पिता के जैसे हैं। वे ही सारे कष्ट दूर करेंगे।