Atmatran kavita ke sheershak ki sarthakta kavita ke sandarbh mein spasht keejeye

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आत्मत्राण का अर्थ है अपने भय से मुक्त होना। यह कविता अन्य कविताओं से भिन्न है क्योंकि कवि ने भगवान से प्रार्थना की है कि हे प्रभु मैं आपसे यह प्रार्थना नहीं करूंगा कि आप मुझे दुख ना दो। मैं आप से यह यह प्रार्थना करूंगा कि आप मुझे दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें। इस कविता में भगवान के ऊपर विश्वास दिखाया गया है किंतु वहीं भगवान से दुखों को दूर करने का वरदान नहीं मांगा है।  भगवान से निर्भय रहने  का गुण मांगा है। अपने कष्टों को कम करने के लिए भगवान से कुछ नहीं मांगा किंतु उन कष्टों को सहने के लिए भगवान से शक्ति मांगी है। इससे कविता के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध होती है।

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Yar Hindi to khud kiya kr
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