baalgobin  bagat  me  jo  gramay  sanskriti  ki  jhalak  milte  hai  oh  hamare aaspaas  ke  vatavaran  se  kaise  bhin  hai ? 

ग्रामीण जीवन की दिनचर्या सर्वथा अलग है। गाँव के लोग सूर्य उगने से पहले उठ जाया करते हैं। वे उस समय भगवान भजन और बाकी कार्य कर लेते हैं। सुबह सवेरे वह खेतों में का करना आरंभ कर देते हैं। वहाँ का जीवन शांत और संतोष भरा है। सब लोग एक साथ खेतों पर काम करने जाते थे। प्रायः हमारे आस-पास ऐसा नहीं होता है। प्रभाती गाने का स्वर तो शहरों में सुनाई नहीं देता है। लोग टी.वी. पर भक्ति गाने चला कर संतोष कर लेते हैं। संध्या के समय जहाँ लोग चौपाल के आसपास बैठकर चिंतन-मनन या भक्ति-भजन करते हैं। शहरों में लोगों के पास समय की कमी होती है। ऐसे में आस-पड़ोस के पास बैठने का वक्त ही नहीं होता है। गाँव में यदि किसी पर विपदा आती है, तो सब साथ होते हैं। परन्तु शहरों में ऐसा नहीं होता।

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