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प्रिय विद्यार्थी ,

                                                                          'लोकगीत' पाठ का सारांश 
लोकगीत पाठ के लेखक भगवतशरण उपाध्याय हैं । इस पाठ में उन्होंने लोकगीतों के बारे में विस्तार से समझाया है । 
लोकगीत उस गीत को कहते हैं जो गाँवों में लोग गाया करते हैं । इन गीतों की रचना भी गाँव के लोग ही करते हैं । ये गीत त्योहारों और विशेष अवसरों पर गाए जाते हैं । लोकगीत सब जगह अलग-अलग तरीके से गाए जाते हैं । 
लोकगीत की प्रकार के होते हैं । यह इस देश के आदिवासियों और गाँव से जुड़े लोगों में अधिक प्रचलित है । जैसे चैता , कजरी , बारहमासा आदि गीत बिहार और उत्तर प्रदेश के इलाकों में , तो पंजाब में हीर-राँझा , राजस्थान में ढोला-मारू आदि गाए जाते हैं ।
लोकगीत लोकभाषाओं में गाए जाते हैं । विवाह , जन्म आदि के अवसारों पर लोकगीत गाए जाते हैं । इसे स्त्री और पुरुष दोनों गाते हैं । कुछ लोकगीत दल में गाए जाते हैं , तो कुछ अकेले । वास्तव में लोकगीत हमारी संस्कृति की एक अनमोल धरोहर है । 
आभार । 
 

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