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नीलकं ठ' पाठ महादेवी ारा रिचत है। महादेवी के जीवन का एक बत बड़ा िहा पशु-पियों के बीच तीत आ है। महादेवी नेपशु-पियों पर आधारत अनिगनत कहािनयाँिलखी ह। नीलकं ठ भी उसी ृंखला का एक िहा है। नीलकं ठ एक मोर है। महादेवी अपनेसाथ दो मोरनी के बेलेआती ह। एक नर मोर का नाम वह नीलकं ठ रखती हऔर दूसरेमादा मोर का नाम राधा। नीलकं ठ भाव मेही, िनडर, और साहसी है। अपनेभाव के कारण वह लेखका और जालीघर के पशु-पियोंका िय बन जाता है। परुकुा मोरनी के आनेसेनीलकं ठ को अकाल मृुका ास बनना पड़ता है। इस रचना मलेखक...
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नीलकंठ महादेवी वर्मा द्वारा लिखी गई एक रेखाचित्र है। महादेवी जी को पशु-पक्षियों से बड़ा प्रेम था। नीलकंठ कहानी भी पशु-पक्षी की कहानी में से एक है। यहाँ नीलकंठ एक मोर है। महादेवी अपने साथ दो मोरनी के बच्चे ले आती हैं। एक नर मोर जिसका नीली गर्दन होने के कारण उसका नाम नीलकंठ रखती हैं और दूसरे मादा मोर का नाम राधा। । जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का स्वागत नव वधू के समान किया गया। लक्का कबूतर नाचना छोड़ उनके चारों ओर घूम-घूमकर गुटरगूं-गुटरगूं की रागिनी अलापने लगे । बड़े खरगोश गंभीर भाव से कतार में बैठकर उनका निरीक्षण करने लगे। छोटे खरगोश ऊन की गेंद के समान उनके आसपास उछल-कूद मचाने लगे। तोते एक आँख बंद करके उनका निरीक्षण करने लगे। नीलकंठ स्वभाव में स्नेही, निडर, और साहसी था। अपने स्वभाव के कारण वह लेखिका का प्रिय बन गया था इस रेखाचित्र में मनुष्य और पक्षियों के आपसी प्रेम का बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णन किया गया है। लेखिका उन पक्षियों को अपने घर के अहाते में बने मिनी चिड़ियाघर में रख देती हैं। समय बीतने के बाद दोनों चूजे बड़े हो जाते हैं। एक मोर और दूसरी मोरनी। मोर अपने रंग बिरंगे चटखीले पंखों के कारण अत्यंत सुंदर दिखता है लेकिन मोरनी अपने सादे पंखों के बावजूद भी नजाकत और सुंदरता की मिसाल होती है। मोर अब पूरे चिड़ियाघर के सभी पशु पक्षियों का संरक्षक बन चुका होता है। एक दिन वह जहरीले साँप के मुँह से खरगोश के बच्चे को भी बचाता है। मौका पड़ने पर उन्हें दंडित भी करता है और उनकी सुरक्षा भी करता है। मोर अपने नृत्य से सबको मंत्र मुग्ध कर देता है जिससे लेखिका के यहाँ पहुँचने वाले अतिथि भी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
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