can i have line by line explanation of chandra gehna se lautti ber.

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'चंद्र गहना से लौटती बेर' कविता में कवि ने गाँव के रास्ते में पड़ने वाले खेत व तालाब की प्रकृति सुंदरता का वर्णन किया है। एक बार लेखक चंद्र गहना नामक गाँव से आ रहा होता है। उसे वहाँ प्रकृति अपनी ओर आकर्षित करती हुई प्रतीत होती है। उसे एक ठिगना चने का पौधा दिखता है, जिसके सर पर गुलाबी फूल साफे (पगड़ी) के समान लगता है। वह दुल्हे के समान प्रतीत होता है। वहीं पास में अलसी का पौधा है जो सुन्दर युवती के भांति लगता है।......

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