भारतवर्ष ऐसा देश है, जिसमें छ: ऋतुऐं आती हैं। बसंत इनमें से एक ऋतु है। बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। बसंत ऋतु माघ शुक्ल पक्ष से फाल्गुन पूर्णिमा तक चलने वाली ऋतु है। ऐसा कहने के पीछे विशेष कारण भी है। यह ऐसी ऋतु है, जिसमें प्रकृति अपना अपूर्व सौंदर्य दर्शाती है। इस ऋतु के आते ही प्रकृति का कण-कण मानो प्रसन्नता से खिल उठता है। चारों तरफ व्याप्त हरियाली, फूलों से लदे पेड़-पौधे, सुंगध से युक्त वातावरण मन में प्रसन्नता भर देता है। अपने इन्हीं गुणों के कारण रसिकों और कवियों की यह प्रिय ऋतु है और इसे विभिन्न नामों जैसे मधुरितु, ऋतुराज और कुसुमाकर से भी जाना जाता है। बसंत ऋतु में सूखे पत्ते झड़ जाते हैं और नए पत्ते आने लगते हैं। यह ऋतु सब ऋतुओं से सुंदर, सुहावन, आकर्षक एवं मनमोहक होती है। चारों ओर रंग-बिरंगे फूल ही फूल दिखाई देते हैं। इस ऋतु में गुलमोहर, सूरजमुखी, चंपा, गुलाब, चमेली आदि पुष्पों का सौंदर्य सबको अपने आकर्षण में बाँध लेता है।