CAN YOU PLEASE EXPLAIN THIS PARAGRAPH:-
पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रहीं लू-लपट दिशाएँ
जिनके सिंहनाद से सहमी,
धरती रही अभी तक डोल।
कलम आज उनकी जय बोल!
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
इन पंक्तियों को श्री रामधारी सिंह दिनकर की कविता `कलम आज उनकी जय बोल` से लिया गया है। इन पंक्तियों में स्वतंत्रता सेनानियों के शौर्य की गाथा गाई गई है। स्वतंत्रता से पहले जब देश पराधीन था, उस समय स्वतंत्रता सेनानियों को जोश और उत्साह देने के लिए इनको लिखा गया है। कवि कहते हैं जिनके रक्त से पत्थर तक लाल हो गए हैं, जिनके जोश से चारों दिशाएं गूंज रही है और थर्रा रही है; ऐसे वीरों की शौर्य गाथा हम कवियों को लिखनी चाहिए।