Can you please give me a hindi speech on the topic:
"Samaj ke prati vidhyartiyo ka katavya."
Thank You!
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
समाज में रहकर हम बड़े होते हैं। समाज के कारण ही हमारे मित्र, संबंधी, परिवारजन, सहकर्मी, सहपाठी इत्यादि होते हैं। इनके कारण ही हम सब आपस में जुड़े हुए हैं। समाज द्वारा बनाई परंपराएँ, रीतियाँ, त्योहार हमारे जीवन को सुंदर बनाते हैं। इसी कारण समाज के प्रति हमारे कुछ कर्तव्य बनते हैं। हमें समाज के विकास और प्रगति के लिए कार्य करते रहना चाहिए। समाज में बहुत-सी परंपराएँ, रीतियाँ इत्यादि हैं, जो समाज का रूप विकृत कर देती हैं। अतः हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उसे दूर करें। आज समाज में सामाजिक बुराइयाँ जैसे भ्रष्टाचार, दहेज़ प्रथा, निरक्षता इत्यादि हैं। हमें इन्हें दूर करने के लिए एकजुट होना चाहिए। इस तरह हम अपने समाज को सुंदर और त्रुटिहीन बना सकते हैं।