dear experts pls answer marked questions.

छोड़ो मत अपनी आन सीस कट जाए।
मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए।
दो बार नहीं यमराज कंठ धरता है,
मरता है जो, एक बार ही मरता है।
तुम स्वयं मृत्यु के मुख पर चाप धरो रे!
जीना है तो मरने से नहीं डरो रे!
स्वातंत्र्य जाति की लगन व्यक्ति की धुन है'
बाहरी वस्तु नहीं यह भीतरी गुण है।
नत हुए बिना जो अशनि घात सहती है,
स्वाधीन जगत में वही जाति रहती है।
वीरत्व छोड़ पर का मत चरण गहो रे!
जो पड़े आन, खुद ही सब आग सहो रे!
ग– उपर्युक्त पंकित्यों में कवि ने क्या संदेश दिया है?​

मित्र!
आपके प्रश्न के उत्तर में हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।

कवि कहते हैं कि चाहे शीश कट जाए पर अपनी इज्ज़त मत जाने देना। मरना तो एक बार ही है, फिर डर -डर के क्या मरना। जीना है तो मरने से क्यों डरते हो। तुम्हारा इतिहास बहुत समृद्ध है तुम बहुत वीर हो। अपनी वीरता मत छोड़ो। स्वाधीन मनुष्य वही है जो अपनी आन के लिए जीवित रहता है।

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