dhvani kavita ka bhavarth

इसका भावार्थ है कि जीवन में कभी किसी के बुरे समय को देखकर यह नहीं मान लेना चाहिए कि उसका अंत समय आ गया है। हो सकता है कि वह उसका आरंभ हो।

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