Dialogue between tt and passenger

टी.टी.- सब अपना टिकट दिखाइए।
पहला यात्री- यह लीजिए साहब।
टी.टी.- ठीक है।
दूसरा यात्री- मैं क्षमा चाहता हूँ। मेरे पास टिकट नहीं है।
टी.टी.- आपके पास टिकट नहीं हैं और आप बिना टिकट के ट्रेन में कैसे चढ़ गए हैं? आपको शर्म आनी चाहिए।
दूसरा यात्री- श्रीमान! मैं क्षमा चाहता हूँ। परन्तु क्या करूँ घर से फोन आया था कि पिताजी बीमारी हैं तुरंत घर आ जाइए। मेरे पास समय नहीं था कि मैं टिकट बुक करवा पाता। अतः सीधे ट्रेन में चढ़ गया था। आप जो भी जुर्माना हो काट लें और मुझे टिकट दिलवादें। मैं आपका सदैव आभारी रहूँगा।
टी.टी.- मुझे आपकी ईमानदारी अच्छी लगी। वरना लोग प्रायः हमें धोखा देते हैं। मैं आपके लिए एक सीट का इंतज़ाम करता हूँ परन्तु जुर्माना भी आपको देना पड़ेगा।
दूसरा यात्री- जैसा आप कहेंगे, मैं वैसा ही करूँगा। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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