ees kavita mein kisan kaun bana hai aur uske baare mein kya bataya gaya hai?

मित्र इस कविता में किसान पहाड़ बना है और वह संध्याकालीन समय में आग सेक रहा है तथा हुक्का पी रहा है। उसके पैर पर नदी रूपी कंबल बिछा हुआ है, जो इस बात का प्रतीक है कि ठंड आ गई है।

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