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मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
ठोकर मारने से लेखक तात्पर्य अपने लालच, स्वार्थ, हित इत्यादि को समाज हित के लिए त्याग देना है। प्रेमचंद में यह प्रबल रूप से विद्यमान था।
रास्ते में पड़े टीले का तात्पर्य समाज में व्याप्त संकीर्ण मानसिकता, रूढ़ीवादी परंपराएँ तथा रीतियाँ हैं। प्रेमचंद ने इनका विरोध अपनी रचनाओं के माध्यम से किया।