Experts answer fast in hindi
 
1- दिए गए विषयों पर अनुच्छेद लिखिए 
क-मेट्रो रेल – महानगरों का एक सुंदर सपना
ख-कामकाजी नारी का एक दिन 
 
2-जल भराव की शिकायत को लेकर गए नागरिक और नगर पालिका अध्यक्ष के बीच एक संवाद लिखिए।
 
3-नेत्र दान विषय पर एक आकर्षक विज्ञापन बनाएँ।

शब्द ‘मेट्रो’ दुनिया भर में भूमिगत रेलवे के लिए उपयोग किया जाता है यह प्रदूषण मुक्त साधन है: लघु और लंबी दूरी पर संचार करना। मेट्रो रेलवे की सेवाओं का उपयोग करने में कोलकाता भारतीय शहरों के शीर्ष पर है।

लाखों लोग महानगरीय शहरों में रहते हैं। दिल्ली भारत के सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में से एक है। ऐसे शहरों में जीवन बहुत व्यस्त है क्योंकि वे प्रदूषण की समस्या का सामना करते हैं। अधिक जनसंख्या ने लोगों के जीवन को एक वास्तविक नरक प्रदान किया है। सड़कों पर देर रात से देर रात तक अनगिनत वाहन देखा जा सकता है इसके बावजूद कि बड़े शहरों में उपलब्ध परिवहन सुविधाएं निशान तक नहीं हैं।

परिवहन की समस्या का समाधान करने के लिए दिल्ली में मेट्रो रेल परियोजना भी शुरू की गई है। वर्तमान में यह अपने शुरुआती चरण में है पूर्व दिल्ली से विवेक विहार के बीच मेट्रो रेलवे उत्तर दिल्ली में रोहिणी के बीच चल रहे हैं| दिल्ली में मेट्रो रेलवे के साथ जल्द से जल्द सभी शहरों के साथ जुड़ने की योजना है सरकार इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है यह हमारा नैतिक है इस महान कार्य में सरकार को पूर्ण समर्थन देने के लिए कर्तव्य।

दिल्ली में हर व्यक्ति को लगता है कि मेट्रो रेलवे उन्हें बहुत लाभान्वित होंगे। यह काम के अपने स्थानों तक पहुंचने में उनकी कीमती समय और ऊर्जा को बचाएगा। यह किसी भी प्रदूषण का कारण नहीं होगा। कभी-कभी, प्रत्येक सिक्का के दो पहलू होते हैं हर चांदी के बादल में एक अंधेरे परत है। इससे दैनिक कन्मुटर-इन के खर्च में वृद्धि होगी। मेट्रो रेलवे अपने दरवाजों से लोगों को नहीं उठाएंगे, न ही उन्हें अपने काम के स्थानों पर छोड़ देंगे।

मेट्रो स्टेशन से काफी दूरी पर रहने वाले लोग मेट्रो स्टेशन तक पहुंचने के लिए एक वाहन को बनाए रखना होगा। फिर से मेट्रो स्टेशन पर उतरने के बाद उन्हें अपने कर्तव्य के लिए एक और वाहन की आवश्यकता होगी। गरीब लोगों को लंबी दूरी के लिए साइकिल चलाना होगा। संक्षेप में, गरीब लोग इसे अमीरों के केक के रूप में शाप देते हैं हालांकि, इसके लाभ अब तक अपने नकारात्मक अंक से अधिक है। इसलिए, यह एक झुकाव के बजाय एक आशीर्वाद साबित होगा|

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वह  सवेरे 5 बजे उठती है. नित्यकर्म से निवृत्त होकर रसोईघर में जाती है. गैस के चूल्हे पर दूध चढ़ाकर आटा गूंधती है. जल्दी से रोटियां  या परांठे सबके लिए बनाती है. बच्चों का और पति का लंच पैक  करती है. इसके बाद बच्चों को जगाती है. उन्हें विद्यालय के लिए तैयार होने में उनकी मदद करती है. बच्चों को दूध और नाश्ता देने के बाद उन्हें पानी की बोतलें दे कर विद्यालय भेजती है. तत्पश्चात स्वयं नहाकर तैयार होती है. अपना लंच डिब्बे में डालकर थोडा चाय या दूध पीती है. पति को जगाकर वह अपने कार्यक्षेत्र जाने के लिए बस  स्टॉप तक दौड़ लगाती है. भीड़ से भरी हुई बस से जूझती हुई वह अपने कार्यक्षेत्र पहुँचती है. अगर उच्च अधिकारी तुनकमिजाज  हुए तो थोडा लेट होने पर उनकी प्रताड़ना सहती हुई अपने कार्य  में जुट जाती है. कार्यक्षेत्र में कार्य होने के बाद थकी हारी घर पहुँचती है. तुरंत रसोईघर में जाकर बच्चों के लिए लंच बनाने  में जुट जाती है, जो कि विद्यालय से वापिस आ रहे होते हैं. बच्चों की विद्यालय की वर्दी बदलवाकर  उन्हें लंच परोसती है. उनकी सारी दिनभर की घटनाएं शिकायतें व परेशानियां सुनती है, समझती है और समाधान भी करती है. तत्पश्चात स्वयं खाना खाकर कुछ पल आराम करती है  बच्चों के पास बैठकर उन्हें गृह कार्य में मदद करती है साथ साथ में खुद भी थोडा अखबार पढ़ लेती है. बच्चों को खेलने के लिए भेजकर वह कपडे धोती है. बाज़ार जा कर घर का कुछ जरूरी सामान लाती है. पति के घर आने का समय हो जाता है  इसलिए चाय बनाती है कभी कभी चाय के साथ पकोड़े  भी बनाती है अब. शाम के खाने की तैय्यारियाँ शुरू हो जाती हैं; सब्जी छीलना,काटना और पकाना. रोटी बनाती हुई वह सबको खाना परोसती है बाद में स्वयं खाना खाकर वह रसोईघर समेटती है. और अगले  दिन की भी कुछ तैयारी करके रखती है. तब तक रात के दस तो बज ही जाते हैं. वह थक हारकर बिस्तर पर सो जाती है, ताकि अगले दिन फिर नए सिरे से इसी दिनचर्या की पुनरावृति कर सके. खुदा न खास्ता अगर मेहमान न आयें, तो शायद अगला दिन भी ऐसे ही बीतेगा.  और पति महोदय! अजी शुक्र कीजिए; कम से कम वे कार्यक्षेत्र पर जाने की स्वीकृति तो दे रहे हैं!
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mera yeh vishaye kaamkaji naari ka ek din par hain 


Kamkaji nari ka ek din

 

Aj  ki badti mehngaayi aur barbar kaam krne ki chah ne naari aur purush dono ko nouraaki krne pe mujboor kr diya hai . Kuch aurte apne ichha se krti hai aur kuch ko ghar sambhaalne hetu  bhi kaam krna padta hai .Bade sahro mai ye aj majboori ban chukka  hai aur chhote sahro mai barabar kaam krn eki chah .

Agar kisi mahanagar ki baat kre to roj subah 6 baje  uthar naha dhokar pooja krne ,, pati au rsavaym ka naasta bana ke saath le jaana aur agar bachhe bhi ho to doudbhaag au rbadh jaati hai . sabka khana aur sabko teyaar kr ke unhe school bhejne tak intjaar krna   roj ka kaam ho jata hai . Phir khud office heti nikalna . Pahle auto lekar railway station jao phir waha se rail se office pass aur phir auto lekar office . Phir suru hota hai ek lamba kaamkaaji din . Agar sahkarmi aur boss ache hote to noukari pasand aati hai au rman bhi lagata hai . Saam ko wapas ghar . agar ghar koi aur hai yaa buzurg hai to wo bachho ka khyaal rakhte hai anyatha ki baalwadi mai daalna apdt ahai jab tak ki tum khud  office ghar naa aajao .Saam ka khana banao aur phir pati aur bachho ke kapde bhi dhoke rakho . Agar pati sahyogi hai to sab thik rahta hai lekin agar wo bhi kahi bahar noukari p ehai to samshya aur badh jaati hai . phir bhi bahat baar sabke sahyod  se kaamkaaji jeevan abhi ache se gujrat ahai agar sab log ghar mai apni jimmedaari ko ache se samje aur nibhaye bina kisi ahankaar aur  krodh ke . tab jeevan aur kaam dono ache lagte hai .

agar pasand aaye to thumbs up plz
 

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