experts plz give me an essay on - vigyapano ka manav jeevan par prabhav

विज्ञान ने मानव को बहुत कुछ दिया है। विज्ञान का ही चमत्कार है कि मनुष्य ने तारों तक की जानकारियाँ प्राप्त कर ली है। हमारे दैनिक जीवन में भी विज्ञान के छोटे-बड़े चमत्कार देखे जा सकते हैं। एक पंखे से लेकर माइक्रोवेव तक विज्ञान की देन है। इसके बिना हम अधूरे हैं। विज्ञान के  बहुत से प्रभाव भी देखे जा रहे हैं। संस्कृति पर भी इसके प्रभाव स्पष्ट नज़र आते हैं। आज सभी देशों की संस्कृति विज्ञान के कारण आपस में जुड़ चुकी हैं। पहले मनुष्य दूर देशों की यात्रा नहीं कर सकता था। परन्तु विज्ञान ने यातायात के ऐसे साधन दिए हैं कि लोगों का दूसरे देशों में आना-जाना संभव हो गया है। लोग एक दूसरे की संस्कृति से परिचित होने लगे हैं। इस कारण आदान-प्रदान भी बढ़ने लगा है। दूसरे देश की संस्कृति से जो अच्छा लगता है, उसे आत्मसात कर लिया जाता है। इस तरह एकता में अनेकता का भाव प्रदर्शित होता है। 

परन्तु इसके कई दुष्परिणाम भी हैं। क्योंकि एक संस्कृति का कुछ हिस्सा आत्मसात कर लिया जाता है, तो कहीं न कहीं अपनी संस्कृति की अवहेलना होने लगती है। लोग तभी कुछ आत्मसात करते हैं, जब उन्हें अपनी संस्कृति में कुछ अच्छा नहीं लगता। इस तरह वह संस्कृति अपना स्वरूप खोने लगती है। संस्कृति में विद्यमान परंपराओं के जो आधार होते हैं वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर उनका मूल्याकंन किया जाता है। परिणाम वैज्ञानिक दृष्टि से संस्कृति के उस पक्ष को झूठा या बेबुनियाद बता दिया जाता है। इस तरह संस्कृति के उस पक्ष को खारिज कर दिया जाता है। इससे संस्कृति की आधारशीला कमजोर हो जाती है। हिन्दू धर्म पर तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मार अकसर की जाती है। उसे मानने वालों को यह कहा जाता है कि उनकी जो भी मानताएँ या परंपरा हैं उनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इस तरह विज्ञान संस्कृति के अस्तित्व को ही नकार देता है। इस तरह के प्रभाव संस्कृति के लिए अच्छा नहीं है।

  • 4
can you please add me as  friend 
 
  • 1
What are you looking for?