Explain page no 118 of the chapter naubathkhane mein ibadath..

मित्र इस पृष्ठ पर मुहर्रम तथा बिस्मिल्ला खाँ के विषय में बताया गया है। मुहर्रम के महीने में शिया मुसलमान शोक मनाते थे। इसलिए पूरे दस दिनों तक उनके खानदान का कोई व्यक्ति तो मुहर्रम के दिनों में शहनाई बजाता था और ही संगीत के किसी कार्यक्रम में भाग लेते थे। आठवीं तारीख खाँ साहब के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती थी। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते और दालमंड़ी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते हुए जाते थे। इन दिनों कोई राग नहीं बजता था। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती थीं।
​इसके अलावा कुलसुम हलवाई की कचौड़ी बिस्मिल्ला खाँ को बेहद पसंद थी। सुलोेचना हिरोइन भी इन्हें बहुत पसंद थी।  
 

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