explanation

गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर-दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक न मंज़िल पा सकूँ,
तब तक मुझे न विराम है

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