GARV GHAMAND MEIN KAISE BADAL JATA HAI

मित्र जब हमारा गर्व इस सीमा तक बढ़ जाता है कि हम दूसरों को अपने आगे कुछ नहीं समझते और उनका अपमान करने लगते हैं, तब वह घमंड में बदल जाता है। 

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