​goan ke bachpan aur nagar ke bachpan mein ka anter hota hai

 गाँव का बचपन अधिकतर धूल- मिट्टी, खेल-खलियान तथा प्रकृति के मध्य व्यतीत होता है। यहाँ के बच्चे अधिकांश धूल में ही खेलते है। परंतु इसके विपरीत नगर के बच्चे धूल को कभी स्वीकार नहीं करते हैं। उन्हें प्रकृति, खेल-खलियान, धूल-मिट्टी से दूर रखा जाता है। उनके पास खेल के आधुनिक साधन उपलब्ध होते हैं।

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