Haaldar sahab ke chehre pe muskaan failne ka karan kya tha

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हालदार साहब ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मूर्ति देखी। मूर्ति संगमरमर की थी। मूर्ति में एक तेज़ नज़र आता था। हालदार साहब को मूर्ति देखकर `तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा` और `दिल्ली चलो` इत्यादि सब याद आ रहा था। उन्होने जैसे ही नेताजी की आँखों की ओर देखा तो पाया वहाँ पर केवल फ्रेम है। मूर्ति संगमरमर की थी पर फ्रेम असली था। यही देख कर उनके चहरे पर मुस्कान फैल गई।

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