hello,

            i feel difficult  to cover hindi syllabus in time during my studies due to my heavy syllabus in maths and science, in my 1st term i did not feel much difficult but in 2nd term i feel very difficult to cope up.  i dont have time to read the whole lesson and understand in hindi i am totally diverted into covering my syllabus in maths and science which is very much imp of course hindi too. so iam very much worrried about hindi so can you please give me a brief summary of the lessons mere bachpan ke din and eake kutha aaur ake maina lesson no: 7and 8. kindy help me as soon as possible since i have a class test on 18-01-2011 tuesday .

                                                                                                                          thankyou

                                                                                                                   sathish kumar. E 

Hi,
किसी कारणवश हम आपके प्रश्नों के उत्तर समय पर नहीं दे पाए हैं। इसके लिए क्षमा चाहते हैं।
मेरे बचपन के दिन में लेखिका ने अपने बचपन के दिनों को उकेरा है। लेखिका ने कई घटनाओं के माध्यम से हमें उस समय से अवगत कराया जो हम नहीं देख पाए। उन्होंने अपने जन्म के पीछे जिस घटना का उल्लेख किया है, वह सच में शोचनीय है की उनके घर में कई पीढ़ियों से कन्याओं को जन्म लेने ही नहीं दिया जाता था। यदि वह ले भी लेती थी तो वह मार दी जाती थी। लेखिका ने विद्यालय का वर्णन कर भारतीय बालाओं के सपने उनके कार्यों की जानकारी दी है। यहाँ पर उन्होंने सुभद्रा कुमारी का भी परिचय दिया है। सुभद्रा कुमारी जानी-मानी कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान है।उस समय देश की हलचल का चित्रण भी इसमें देखने को मिलता है। जब गांधी जी द्वारा आंदोलन चलाए जा रहे थे। लेखिका ने इसे अपने उन दिनों की अपनी यादों के आधार पर लिखा है। उन्होंने अपने इस संस्मरण में उस समय की लड़कियों के प्रति लोगों का व्यवहार उनकी दशा, छात्रावास के समय वहां का जीवन और आजादी की लड़ाई में जनता के योगदान का बड़ा सजीव चित्रण देखने को मिलता है।
 
एक कुत्ता और एक मैना में कवि ने रविंद्रनाथ नाथ की सहजता, स्वभाव की विराटता और संवेदनशीलता का जो परिचय दिया है वह बहुत ही सुंदर है। वह पशु-पक्षियों के जीवन का सूक्ष्म निरीक्षण करने में कितने पारखी थे इस पाठ से ज्ञात होता है। यह पाठ निंबध शैली में लिखा गया है। इसमें कवि ने पशु-पक्षियों के प्रति मानवीय प्रेम व स्नेह व उसके साथ ही पशु-पक्षियों से मिलने वाले भक्ति, प्रेम व करुणा का बड़ा मनोहारी वर्णन मिलता है। यह निबंध हमें शिक्षा देता है की हमें जीव-जन्तुओं से प्रेम व स्नेह करना चाहिए। उनसे इसके बदलते में निस्वार्थ प्रेम व स्नेह ही मिलता है।
 
मैं आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढ़ेरो शुभकामनाएँ!

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THANK YOU VERY MUCH MADAM I AM NOW ABLE TO UNDERSTAND

                                                                                                                                 REGARDS 

                                                                                                                               sathish kumar.E

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