hi maam i am zobia fatima. the video given for raidaas ke pad is not that good as it  is only showing the basic poem.......ab kaise choote raam naam rat laage... and the rest of the pad.
please try to upload a better video 4  our understanding. appreciate  ur time. please answer as fast as possible as i have sent other questions too and i want to study for my hindi test which is tomorrow.


मित्र हम आपके सुझावों पर ध्यान देंगे। आपकी सहायता के लिए हम आपको रैदास के पदों की व्याख्या लिखकर दे रहे हैं।
पहले पद में रैदास जी अपने आराध्य देव का स्मरण करते हैं। वह विभिन्न उपमानों द्वारा उनसे अपनी तुलना करते हैं। वह स्वयं को प्रभु के साथ के बिना अधूरा मानते हैं। उनके अनुसार उनका और उनके प्रभु का रिश्ता ऐसा है जैसे चंदन और पानी का, जिस तरह से चंदन में पानी को डालकर पानी भी सुंगधित हो जाता है उसी प्रकार रैदास भी सुंगधित हो गए हैं। उनके प्रभु बादल के समान है और रैदास जी मोर के समान है, उनके प्रभु चांद हैं तो वह चकोर के समान है। बादल के आने पर मोर प्रसन्नता से नाचने लगता है और चांद के आने पर ही चकोर प्रसन्न रहता है उसी प्रकार अपने प्रभु के दर्शनों से रैदास जी प्रसन्न हो जाते हैं। रैदास जी के अनुसार प्रभु उनके साथ ऐसे ही रचे-बसे हैं, जैसे दीये के संग बाती होती है। प्रभु आप मोती हो और हम धागा हैं। जिस प्रकार सोने के साथ सुहागा होता है वैसे ही आप और मैं हैं। प्रभु जी आप मेरे स्वामी हैं और मैं आपका दास हूँ, जो आपकी भक्ति में लीन रहता हूँ।
दूसरे पद में रैदास जी अपने आराध्य देव की कृपा, प्रेम और उदारता के लिए उनका धन्यवाद करते हैं। उनके अनुसार ये सब उनके भगवान के द्वारा ही किया जा सकता है। भगवान ने ही उनके जैसे व्यक्ति को राजाओं जैसा सुख दे दिया है। उनके अनुसार भगवान सबको समान रूप से देखते हैं। तभी तो उनके जैसे नीच कुल के व्यक्ति को उन्होंने अपने प्रेम से भर दिया है और अपने चरणों में स्थान दिया है। नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना, सैनु जैसे भक्तों को प्रभु ने तार दिया है। रैदास के प्रभु सब कुछ संभव कर सकने वाले हैं। 

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