Hindi Extra Question

४. बालगोबिन भगत' पाठ की ग्राम्य संस्कृति की झलक आपके आस-पास के वातावरण से कैसे भिन्न है। अपने विचार लिखिए ।

मित्र

बालगोबिन भगत की ग्रामीण संस्कृति और हमारे आस पास के परिवेश में बहुत अंतर है। गांव में आज भी अतिथि का सम्मान किया जाता है। घर में खाने को कितना भी कम क्यों ना हो, अतिथि का ध्यान अवश्य रखा जाता है। गांव में आज भी इस बात का ध्यान रखा जाता है कि अतिथि कितनी दूर से थक हार के आया है और उसका ख्याल रखना ही हमारा कर्तव्य है। उसे अच्छी से अच्छी वस्तुएं उपलब्ध कराना गांव के लोग आज भी अपना कर्तव्य समझते हैं। किंतु शहर में  इन सब बातों को कोई नहीं मानता है। शहर की जिन्दगी भागदौड़ वाली है। हर आदमी व्यस्त है, तो अतिथि के लिए किसके पास समय है। शहर के लोग सोचते हैं कि अतिथि जल्दी से जल्दी जाए और हम अपने काम पर निकले। अतिथि आने पर शहर में लोग यह सोचते हैं यह किस लिए आ गया है। अरे क्यों आ गया। टेलीफोन कर देता हम टेलीफोन पर ही सारी बात निपटा लेते। आज के परिवेश में गांव और शहर के वातावरण में अतिथि का सम्मान अलग-अलग प्रकार से किया जाता है। जिस प्रकार बालगोबिन भगत के गाँव में साँझ होते ही सब चौपाल पर इकट्टे हो जाते थे और भजन कीर्तन करते थे। उस प्रकार का माहौल हमारे आस पास भी देखने को नहीं मिलता है।

  • 1
What are you looking for?