'दीवानों की हस्ती' कविता से आप कितने प्रभावित हुए ? क्या आप भी ऐसा ही जीवन जीना पसंद करेंगे ? यदि हाँ, तो क्यों ? यदि नहीं, तो क्यों नहीं ?

बिलकुल मैं ऐसा जीवन जीना पसंद करूँगी। ऐसा जीवन मनुष्य अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीता है। इस प्रकार के जीवन में लोगों से उम्मीद समाप्त हो जाती है। ऐसे लोग समाज के लिए बहुत कार्य कर जाते हैं। अतः मैं ऐसा जीवन जीना पसंद करूँगी।

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