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मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
आते-जाते मनुष्य के जूते घिस जाते हैं। सारा जीवन वह कार्य करने में लगा देता है मगर उसे कुछ हासिल नहीं हो पाता है। इन सब में वह भगवान को भूल जाता है। वह भूल जाता है कि मनुष्य को भगवान ही मुसीबत के समय बचाते हैं। वही सच्चे साथी और मित्र होते हैं।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
आते-जाते मनुष्य के जूते घिस जाते हैं। सारा जीवन वह कार्य करने में लगा देता है मगर उसे कुछ हासिल नहीं हो पाता है। इन सब में वह भगवान को भूल जाता है। वह भूल जाता है कि मनुष्य को भगवान ही मुसीबत के समय बचाते हैं। वही सच्चे साथी और मित्र होते हैं।