इफ़्फ़न दादी की मौत का समाचार सुनकर टोपी पर क्या प्रभाव पडा , टोपी ने उसे क्या कहकर सांत्वना दी?
मित्र
इफ़्फ़न की दादी जितना प्यार इफ़्फ़न को करती उतना ही टोपी को भी करती थीं, टोपी से अपनत्व रखती थीं। उसे भी कहानियाँ सुनाती थीं, उसकी माँ का हाल चाल पूछती। उनकी मृत्यु के बाद टोपी को ऐसा लगा मानो उस पर से दादी की छत्रछाया ही खत्म हो गई है। इसलिए टोपी को दादी की मृत्यु के बाद इफ़्फ़न का घर खाली सा लगा। टोपी ने यह कहकर सांत्वना दी कि तेरी दादी की जगह मेरी दादी की मृत्यु हो गई होती तो अच्छा होता।