आज के समय में कबीर दास की सीसियां की क्या सार्थका है
प्रिय मित्र !
आप का उत्तर प्रकार है-
कबीर दास जी ने उस समय में अपनी साखियों या दोहो में जो शिक्षाएँ दी हैं यदि उन्हें देखा जाए, तो वह आज के समाज के लिए सार्थक बैठती हैं। उस समय के समाज में अज्ञानता, जातिगत भेदभाव तथा धार्मिक भेदभाव, क्रोध, हिंसा आदि सामाजिक बुराइयाँ विद्यमान थी। कबीर ने उन बुराइयों पर अपनी साखियों के माध्यम से कड़ा प्रहार किया और समाज को जागृत करने का प्रयास किया। आज भी हमारे समाज की वैसी ही दशा है। युग बदल गए हैं परन्तु मनुष्य में विद्यमान ये बुराइयाँ आज भी वैसी की वैसी बनी हुई हैं। इसलिए कबीर की साखियाँ आज भी उतनी प्रभावी हैं, जितनी पहले हुआ करती थी। आज उनके रचियता नहीं है परन्त अपनी साखियों के माध्यम से वह समाज को जगाने का काम रहे हैं और उन्हें स्वयं को सही मार्ग पर ले जाने के लिए मार्गदर्शन कर रहे हैं।
आप का उत्तर प्रकार है-
कबीर दास जी ने उस समय में अपनी साखियों या दोहो में जो शिक्षाएँ दी हैं यदि उन्हें देखा जाए, तो वह आज के समाज के लिए सार्थक बैठती हैं। उस समय के समाज में अज्ञानता, जातिगत भेदभाव तथा धार्मिक भेदभाव, क्रोध, हिंसा आदि सामाजिक बुराइयाँ विद्यमान थी। कबीर ने उन बुराइयों पर अपनी साखियों के माध्यम से कड़ा प्रहार किया और समाज को जागृत करने का प्रयास किया। आज भी हमारे समाज की वैसी ही दशा है। युग बदल गए हैं परन्तु मनुष्य में विद्यमान ये बुराइयाँ आज भी वैसी की वैसी बनी हुई हैं। इसलिए कबीर की साखियाँ आज भी उतनी प्रभावी हैं, जितनी पहले हुआ करती थी। आज उनके रचियता नहीं है परन्त अपनी साखियों के माध्यम से वह समाज को जगाने का काम रहे हैं और उन्हें स्वयं को सही मार्ग पर ले जाने के लिए मार्गदर्शन कर रहे हैं।