राम और लक्ष्मण ने महाराज दशरथ के निर्णय को खुशी-खुशी स्वीकार किया। तुम्हारी समझ में इसका क्या कारण रहा होगा?

राम-लक्ष्मण के लिए अपने पिता की आज्ञा सर्वोपरि थी। वे जानते थे कि पिता यदि उनको ऐसा कहने के लिए कह रहे हैं, तो अवश्य इसके पीछे ठोस वजह होगी इसलिए उन्होंने पिता की आज्ञा को खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया।

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