इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए।

लेखिका मन्नू भंडारी भी स्वतंत्रता संग्राम में भागीदार थी। इस आंदोलन में उन्होंने अपने भाषण, उत्साह तथा अपनी संगठन-क्षमता के द्वारा सहयोग प्रदान किया। 1946-47 तक के समय में मन्नू भंडारी ने जगह-जगह जाकर अपनी भाषण प्रतिभा के माध्यम से अपने विचारों को साधारण जनता के समक्ष रख कर अपना सहयोग दिया।

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