एक फूल की चाह कविता के एक पात्र सुखिया के पिता तथा देवी के एक सवर्ण भक्त के बीच संवाद |

मित्र हम आपको इस विषय पर आरंभ करके दे रहे हैं। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास करें। इससे आपका अच्छा अभ्यास होगा और आपका लेखन कौशल बढ़ेगा।

भक्त- सुखिया तुम यहाँ मंदिर में क्या कर रहे हो?
​सुखिया- मुझे क्षमा कर दीजिए क्योंकि मैंने अछूत होते हुए भी मंदिर में प्रवेश किया है। परंतु मेरी एक मजबूरी थी।
भक्त- इतना बड़ा पाप करके अब तू क्षमा माँग रहा है। तुझे पता भी है कि तूने मंदिर को अशुद्ध कर दिया। 
सुखिया- ऐसा मत कहिए। मुझे अपनी बीमार पुत्री के लिए देवी का एक फूल चाहिए। वही लेने आया हूँ। 
भक्त- क्या! तू देवी के फूल को लेने आया है। क्या तू भूल गया कि तू एक अछूत है और तुम लोगों का मंदिर तथा यहाँ की किस वस्तु पर कोई अधिकार नहीं है।
​सुखिया- कृपा करके मेरी बच्ची की आखिरी इच्छा पूरी कर दीजिए।
​भक्त-..................
 

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