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मित्र लेखक मालाबार से तक्षशिला (पाकिस्तान) गया था। उस समय वहाँ धार्मिक दंगे छिड़े हुए थे। लेखक को परदेस की कोई जानकारी नहीं थी। वहाँ के लोगों की हिंदुओं के प्रति विचारधारा को लेकर वह संदेह में था। इसलिए अपने जीवन के अनुभवों से उसने इतना अवश्य सीख लिया था कि अगर कहीं बाहर के देश में जाओ तो वहाँ के लोगों से हमेशा मुस्कराकर बात करनी चाहिए। चाहे वहाँ का वातावरण जैसा भी हो परंतु आपका स्नेहपूर्ण व्यवहार आपके दुश्मनों को भी आपका दोस्त बना देगा। 

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