हमारे कृषिप्रधान भारत में जल का अधिक महत्त्व है| आषाढ़ मास से जल के अमृत बिन्दुओं का स्पर्श होता ही धरती से सीधी गंध उठने लगती है| कई दिनों की धरती की प्यास बुझ जाती है| शीतल मधुर जल पाकर पेड़-पोधे हरे-भरे होने लगते है| चारों और हरियाली छा जाती है| रंग-बिरंगे फूलों पर रंगबिरंगी तितलियाँ मँडराने लगती है| बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर मोर अपने मनोहर पंख फैलाकर नृत्य करने लगते है| बाल-मदलियाँ वर्षा ऋतू में 'हो-हो' की ध्वनि से वातावरण को गुंजित करने लगती है|
जल वनस्पति एवम् प्राणियों के जीवन का आधार है उसी से हम मनुष्यों, पशुओं एवम् वृक्षों को जीवन मिलता है| यूं तो सम्पूर्ण पृथ्वी में ७५% पानी है किन्तु पीने योग्य जल मात्र १% ही है इसलिए जल का विशेष महत्त्व है| भारत नदियों का देश कहा जाता है| पहले जमाने में, गंगाजल वर्षों तक बोतलो डिब्बों में बन्द रहने पर भी खराब नहीं हुआ करता था, परन्तु आज जल-प्रदुषण के कारण अनेक स्थानों पर गंगा-यमुना जैसी नदियों का जल भी छुनेको जी नहीं करता| हमें इस जल को स्वच्छ करना है एवं भविष्य में इसे प्रदूषित होने से बचाना है|
गाँव में अक्सर पानी की तंगी रहती है| गाँव के अधिकाश कुएँ सुख चुके है, बाकी कुओं के तल दिखाई दे रहे होते हैं| गाँवो में स्त्रियाँ मटके पर मटके लाद कर दूर-दूर तक चलकर पानी लाती है, फिर भी पानी पर्याप्त न होता है| ऐसी दशा में नहाने-धोने की भीषण समस्या होती है| मुझ जैसे नित्य स्नान करने वाले व्यक्ति के लिए वहाँ रहना कठिन होगा| जल की बूँद-बूँद मोती की तरह कीमती है| गाँवो में जल संकट को दूर करने के लिए सरकार को ओर से नये कुएँ खुदवाए जा रहें है और पुराने कुओं को अधिक गहरा किया जा रहा है|
गाँव हो या शहर हमे वर्तमान समय से जल को बुद्धिमत्ता से प्रयोग करना है ताकि सबके पीने योग्य जल मिले एवम् भविष्य की पीढ़ी को भी पर्याप्त मात्रा में जल नसीब हो| भगवान कभी वो दिन न दिखाए जब एक दुसरे राज्य देश पानी के लिए विवाद खड़ा करें| हमें नये-नये तरीको से वर्षा ऋतु के पानी के बचना है|
जल वनस्पति एवम् प्राणियों के जीवन का आधार है उसी से हम मनुष्यों, पशुओं एवम् वृक्षों को जीवन मिलता है| यूं तो सम्पूर्ण पृथ्वी में ७५% पानी है किन्तु पीने योग्य जल मात्र १% ही है इसलिए जल का विशेष महत्त्व है| भारत नदियों का देश कहा जाता है| पहले जमाने में, गंगाजल वर्षों तक बोतलो डिब्बों में बन्द रहने पर भी खराब नहीं हुआ करता था, परन्तु आज जल-प्रदुषण के कारण अनेक स्थानों पर गंगा-यमुना जैसी नदियों का जल भी छुनेको जी नहीं करता| हमें इस जल को स्वच्छ करना है एवं भविष्य में इसे प्रदूषित होने से बचाना है|
गाँव में अक्सर पानी की तंगी रहती है| गाँव के अधिकाश कुएँ सुख चुके है, बाकी कुओं के तल दिखाई दे रहे होते हैं| गाँवो में स्त्रियाँ मटके पर मटके लाद कर दूर-दूर तक चलकर पानी लाती है, फिर भी पानी पर्याप्त न होता है| ऐसी दशा में नहाने-धोने की भीषण समस्या होती है| मुझ जैसे नित्य स्नान करने वाले व्यक्ति के लिए वहाँ रहना कठिन होगा| जल की बूँद-बूँद मोती की तरह कीमती है| गाँवो में जल संकट को दूर करने के लिए सरकार को ओर से नये कुएँ खुदवाए जा रहें है और पुराने कुओं को अधिक गहरा किया जा रहा है|
गाँव हो या शहर हमे वर्तमान समय से जल को बुद्धिमत्ता से प्रयोग करना है ताकि सबके पीने योग्य जल मिले एवम् भविष्य की पीढ़ी को भी पर्याप्त मात्रा में जल नसीब हो| भगवान कभी वो दिन न दिखाए जब एक दुसरे राज्य देश पानी के लिए विवाद खड़ा करें| हमें नये-नये तरीको से वर्षा ऋतु के पानी के बचना है|
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