i need the prati padhay of atmtarn

मित्र आत्मत्राण कविता का प्रतिपाद्य है कि चाहे कितना मुशिकल समय हो, कितनी विपदाएँ जीवन में हो परन्तु हमारी आस्था भगवान पर बनी रहे क्योंकि जीवन में थोड़ा-सा दुख आते ही मनुष्य का भगवान पर से भरोसा हटा जाता है परन्तु कवि इसके विपरीत भगवान से प्रार्थना करता है की आप बस मेरे मन में अपने प्रति विश्वास को कम मत होने देना।

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