i want essey on grishm ritu???????????????????// today
नमस्कार मित्र!
भारत ऋतुओं का देश कहलाता है। इस देश में छ: प्रकार की ऋतुएँ मानी जाती है। हिन्दी तिथि के अनुसार वैशाख व जेठ का महीना ग्रीष्म ऋतु कहलाता है, वर्षा ऋतु, आषाढ़ व सावन का महीना होता है, शरद् ऋतु का भाद्र व आश्विन का महीना होता है, हेमंत का कार्तिक व अगहन, पूस व माघ का शिशिर का महीना होता है और फाल्गुन व चैत्र का महीना वसंत ऋतु का माना जाता है।
ग्रीष्म ऋतु अपने नाम के अनुसार गर्म व तपन से भरी मानी जाती है। इस ऋतु में रातें छोटी व दिन लम्बे होते हैं। इस ऋतु में सूर्य अपने पूरे ज़ोर पर होता है। उसकी तपन से समस्त जन त्रस्त होते हैं। लू के थपेड़े लोगों को झुलसाए रहते हैं। मनुष्य के साथ-साथ सभी प्राणी भी इससे बचने का प्रयास करते हैं। बिहारी जी ने बहुत खूब कहा है-
कहलाने एकत बसत अहि मयूर, मृग बाघ।
जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ।।
ग्रीष्म ऋतु बड़ों के लिए ही नहीं बच्चों की भी बहुत प्रिय ऋतु मानी जाती है क्योंकि बच्चों के विद्यालयों में 2 महीनों का अवकाश घोषित कर दिया जाता है। बच्चों का अधिकतर समय इस ऋतु में खेल-कूदने और घूमने में व्यतीत होता है। ग्रीष्म ऋतु क्रीड़ा करने के लिए सबसे अच्छी है। कई स्थानों पर खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। तैराकी का आनंद इस ऋतु में लिया जा सकता है। यह ऋतु तैराकी की प्रतियोगिता के लिए सबसे उचित मानी जाती है। इस ऋतु में हमारे शरीर में रक्त का प्रवाह सामान्य रहता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
यह ऋतु रोगाणु पनपने के लिए अच्छी होती है, जिसके कारण पेट से संबधित बीमारियाँ इस ऋतु में अधिक होती है। इस ऋतु में अत्यधिक गरमी के कारण पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। इस ऋतु में मौसमी फल जामुन, शहतूत, आम, खरबूजे, तरबूज आदि फलों की बहार होती है। अत्यधिक गरमी के कारण लोग परेशान व बेहाल हो जाते हैं। दोपहर में घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। लोग इस समय नींबू का पानी, लस्सी व बेलपथरी का रस पीकर गरमी को दूर भगाने का प्रयास करते हैं।
ग्रीष्म ऋतु में जन-जीवन अत्यधिक गरमी के कारण अस्त-व्यस्त हो जाता है। दोपहर के समय बाहर निकलना कठिन हो जाता है। धरती तवे के समान तपती हुई सी प्रतीत होती है।
इस गर्मी में बिजली की खपत भी अधिक हो जाती है और बिजली संकट बना रहता है। अत्यधिक गर्मी से परेशानियाँ बढ़ जाती है। लोग दोपहर के समय घर से निकलना छोड़ देते हैं। गरमी के कारण कुछ लोगों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है। सभी जन भगवान इंद्र से वर्षा के होने की प्रार्थना करने लगते हैं। क्योंकि इस समय हरियाली अत्यधिक गर्मी से मुरझाने लगती है। चारों तरफ सूखा ही सूखा दिखाई देता है। रात में भी इस गर्मी से छुटकारा नहीं मिलता है। गर्मी से उत्पन्न व्याकुलता वर्षाकाल के आगमन पर ही शांत होती है।
ढेरों शुभकामनाएँ!