Is dohe ka aarth spasht kijiye.
नदिया सींचे खेत को, तोता कुतरे आम।
सूरज ठेकेदार-सा, सबको बाँटे काम।।
मित्र!
हमारे एक मित्र ने आपके प्रश्न का उत्तर दिया है। हम भी अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
इस दोहे का अर्थ बहुत गहरा है। इस दोहे से हमें सर्व धर्म समान हैं, का संदेश मिलता है। नदियां खेतों को सींचती है। नदियां यह नहीं देखती कि यह खेत किसका है किस धर्म से संबंध रखता है। तोते जब फलों को कुतरते हैं, तो वह यह नहीं देखते कि बाग किसका है, किस धर्म या संप्रदाय से संबंध रखता है। यह तो एक सतत प्रक्रिया है। प्रकृति ने सबको काम बांट रखे हैं। सूरज आता है दिन में रोशनी करके शाम को चला जाता है। उसकी रोशनी सबको मिलती है चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों ना हो।
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इस दोहे का अर्थ बहुत गहरा है। इस दोहे से हमें सर्व धर्म समान हैं, का संदेश मिलता है। नदियां खेतों को सींचती है। नदियां यह नहीं देखती कि यह खेत किसका है किस धर्म से संबंध रखता है। तोते जब फलों को कुतरते हैं, तो वह यह नहीं देखते कि बाग किसका है, किस धर्म या संप्रदाय से संबंध रखता है। यह तो एक सतत प्रक्रिया है। प्रकृति ने सबको काम बांट रखे हैं। सूरज आता है दिन में रोशनी करके शाम को चला जाता है। उसकी रोशनी सबको मिलती है चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों ना हो।