Is prakar kavi ki marmbhedi drishti ne is bhashaheen prani ki karun drishti ke bheetar us vishal manav satya ko dekha hai, jo manushya, manushya ke andar bhi nahin dekh paata,
1. Is vaakya ka aashay likhen
2. Is vakya ko kisne kisse kaha
3. Is vakya mein kavi kiske liye prayukt hua hai?

मित्र इन प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार है-
1.ऐसा देखा गया है कि आज समय के बदलते रुप के साथ मनुष्य के विचारों में भी बदलाव आया है। आज का मनुष्य पहले की अपेक्षा अधिक आत्मकेन्द्रित हो गया है। आज मनुष्य इतना आत्मकेन्द्रित हो गया है कि मनुष्य , मनुष्य के भावों को नहीं समझ पाता है। इस विषय में पशुओं का स्वभाव मनुष्य से भिन्न है। भाषाहीन होने के बाद भी वे मनुष्यों के स्नेह का अनुभव कर लेते हैं।
​2.  इस वाक्य को लेखक ने कुत्ते के लिए कहा है। वह भाषाहीन होते हुए भी मानव  के प्रेम का अनुभव कर लेता है। 
3. इस वाक्य में कवि रविन्द्रनाथ टैगोर के लिए प्रयुक्त किया गया है। 
 

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