Ish kabita main maa ka jo charitra prasttut hoya hai wo paramparagath maa se kis tarah bhinna hai?

मित्र इस कविता की माँ अपनी बेटी को घर परिवार को खुश रखने की जगह अपनी बेटी को सचेत रहने की सलाह देती है। वह उसे समझाती है कि उसे ससुराल में काम करते ही नहीं रहना बल्कि अपने व्यक्तित्व को बचा कर रखना है। अपने रूप और सौंदर्य के स्थान पर अपने अस्तित्व को संभालना है। 

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