Ishwar ke viyog mein paritran viyogi ki kya stithi hoti hai

मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
ईश्वर के वियोग में मनुष्य इस प्रकार हो जाता है जैसे उसके हृदय में सांप बस रहे हों।  तब कोई मंत्र या दवा कार्य नहीं करता। ईश्वर के वियोग में जीवित रहने का एहसास तो होता है किंतु निर्जीवता बनी रहती है। मनुष्य पागलों की तरह व्यवहार करता है। जिस प्रकार अपने प्रिय से बिछड़ने का दुख मनुष्य भूल नहीं पाता उसी प्रकार ईश्वर के वियोग में मनुष्य पागल सा हो जाता है।

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