iwant sangatkar summary

'संगतकार' कविता में कवि मंगलेश डबराल मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार के महत्व का वर्णन करते हैं। वह मुख्य गायक के साथ गायन में बैठे संगतकार की तरफ़ हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं। उसके अनुसार कितनी विषम परिस्थितियों में संगतकार मुख्य गायक का गायन के समय में साथ देता है। यदि वह न हो, तो मुख्य गायक के लिए बहुत समस्याएँ खड़ी हो जाएँ। विभिन्न क्षणों में वह स्थिति को संभाल लेता है। मुख्य गायक की उपलब्धियों में संगतकार का योगदान होता है। परंतु सफलता का श्रेय मुख्य गायक ही बटोर लेता है। संगतकार का योगदान गौण हो जाता है। कविता हमें संगतकार के योगदान पर सोचने के लिए मजबूर करती है। उनके अनुसार यह उस संगतकार की अयोग्यता नहीं है, अपितु उसका बड़प्पन है, जो वह स्वयं के परिश्रम को किसी को बताता नहीं है। हमें सदैव उनका सम्मान करना चाहिए।

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Saṅgatakāra kē mādhyama sē kavi usa varga kī ōra saṅkēta karanā cāhatā hai jisakē sahayōga kē binā kō'ī bhī vyakti ūm̐cā'ī kē śikhara kō prāpta nahīṁ kara sakatā hai. Jaisē saṅgatakāra mukhya gāyaka kē sātha milakara usakē surōṁ mēṁ apanē surōṁ kō milākara usakē gāyana mēṁ na'ī jāna phūm̐katā hai aura usakā sārā śrēya mukhya gāyaka kō hī prāpta hōtā haiIsī taraha ēka ārkiṭēkṭa ēka bhavana kā nakśā banatā hai, parantu bhavana nirmāṇa mēṁ usakē mazadūrōṁ va in̄jīniyarōṁ kī bhī sahabhāgitā hōtī hai. Parantu śrēya usakē mukhya ārkiṭēkṭa kō hī prāpta hōtā hai an'ya kō nahīṁ.

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