Jo kuch padho Tum Karya Main Bhi Saath hi pranat karo is Kavya pankti ka Arth likhe

मित्र
आपका उत्तर इस प्रकार है।

जो कुछ भी हम पढ़कर ज्ञान अर्जन करते हैं, वह तभी सार्थक है, जब हम उसे  अपने कार्यों द्वारा भी दर्शाते हैं। अन्यथा वह ज्ञान अपूर्ण रह जाता है। हम पढ़तेे हैं कि परोपकारी बनो, किंतु यदि हम परहित के कार्य नहीं करतेे तो हमारा पढ़ना लिखना बेकार है। इसलिए, हम जो भी पढ़ते हैं हमें अपने कार्यों द्वारा उसे प्रकट भी करना चाहिए।

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