kaabirdaas ji ki bhasha shaili
उत्तर:उनकी भाषा सधुक्कड़ी है।
उत्तर विस्तार:
सरल भाषा को अपनाया है। उनकी भाषा में अनेक भाषाओं के शब्द खड़ी बोली, पूर्वी हिन्दी, राजस्थानी, पंजाबी, ब्रज, अवधी आदि के प्रयुक्त हुए हैं, अत:, ‘पंचमेल खिचड़ी’ अथवा सधुक्कड़ी ‘’ भाषा कहा जाता है।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इसे ‘सधुक्कड़ी’ नाम दिया है। उन्होंने अपनी रचनाओं में दोहा-चौपाई और पद-शैली का अधिक प्रयोग किया है।
काव्य को प्रभावशाली बनाने वाले कुछ अलंकार कबीर के काव्य में अनायास आ गए हैं, जैसे- अनुप्रास, रूपक, उपमा, दृष्टांत आदि।