Kabir ke prem aur virah par apne vichar vyakt kijiye
प्रिय मित्र!
आपका उत्तर इस प्रकार है।
कबीर के प्रेम और विरह पर हमारे विचार इस प्रकार हैं- कबीर के अनुसार प्रेम हमारे स्वभाव को कोमल और शांत बनाकर अन्य व्यक्तियों के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। मानव का मानव और ईश्वर के प्रति प्रेम ही सच्चा है। भगवान से दूर रहने को कबीर विरह की संज्ञा देते हैं। कबीर कहते हैं कि जो व्यक्ति भगवान से प्रेम नहीं करता, वह संसार में गरीब और अनाथ है। भगवान की प्राप्ति के लिए व्यक्ति द्वारा किया गया जतन विरह की वास्तविक स्थिति बताता है। भगवान से दूर होना ही कबीर के लिए विरह है।
आपका उत्तर इस प्रकार है।
कबीर के प्रेम और विरह पर हमारे विचार इस प्रकार हैं- कबीर के अनुसार प्रेम हमारे स्वभाव को कोमल और शांत बनाकर अन्य व्यक्तियों के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। मानव का मानव और ईश्वर के प्रति प्रेम ही सच्चा है। भगवान से दूर रहने को कबीर विरह की संज्ञा देते हैं। कबीर कहते हैं कि जो व्यक्ति भगवान से प्रेम नहीं करता, वह संसार में गरीब और अनाथ है। भगवान की प्राप्ति के लिए व्यक्ति द्वारा किया गया जतन विरह की वास्तविक स्थिति बताता है। भगवान से दूर होना ही कबीर के लिए विरह है।