kahani ke adhar par yeh sidh kijiye ki appu bhola bala masom child hhhhh

मित्र हम कह सकते है कि अप्पू एक भोला-भाला बालक था। वह चतुर नहीं था। वह अपनी कल्पना में ही जीता था और उसमें ही खुश था। उसने भोलेपन में ही माँ के दिए फीस पैसों के कंचे भर लिए। वरना वह कुछ पैसों से कंचे खरीदता और बाकी बचा लेता। इसके अलावा जब उसके कंचे सड़क पर गिर जाते हैं, तो वह भोलेपन में ही सड़क पर कंचे उठाने के लिए तत्पर हो जाता है। सामने आती हुई गाड़ी से भय नहीं लगता। वह यह जान ही नहीं पाता कि इससे उसे नुकसान हो सकता था या उसकी जान जा सकती थी।

 

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