kavita mein kavi shapath lene par kyo bal de rahe hai?

मित्र जब हम किसी कार्य को करने की शपथ लेते हैं, तो हमें कोई अपने मार्ग से विचलित नहीं कर पाता है। अतः कवि शपथ लेने पर बदल देता है। शपथ लेने पर उसे तोड़ना मनुष्य  के लिए संभव नहीं होता है। कार्य पूर्ण होकर ही रहता है।

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