Kavitri dwara Mukti ki likye kie Jane wale prayas vrat kyon Ho Raha hai ?

मित्र

कवियत्री ने परमात्मा से मिलने के लिए भक्ति मार्ग के सीधे रास्ते  को ना अपनाकर हठयोग का रास्ता अपनाया। उन्होंने कुंडलिनी को जागृत कर परमात्मा और अपने मध्य सीधा रास्ता अपनाना चाहा। वह इस कार्य में लगातार असफल होती रही। उनको सरल रास्ता अर्थात भक्ति मार्ग  अपनाना चाहिए था। 

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