khan pan ki badalti tasvir par abhivakti chahiye its urgent it is my homework

मित्र खानपान की बदलती तसवीर' पाठ के माध्यम से लेखक प्रयाग शुक्ल हमारे देश में हो रहे खानपान संबंधी महत्वपूर्ण बदलावों की तरफ़ हमारा ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। उसके अनुसार हमारे आस-पास खानपान की मिश्रित संस्कृति विकसित होती जा रही है। आज भारतीय रसोई में फिर चाहे वह किसी भी क्षेत्र या राज्य की क्यों न हो, अपने गाँव और संस्कृति की नहीं अपितु पूरे भारत के खानपान की खुशबू आती है। वह आज एक स्थान, जाति और धर्म न बनकर पूरे भारत का परिचय कराती है। यह अनेकता में एकता का बोध कराती है। समय की मांग ने खानपान की तसवीर बदलकर रख दी है। आज लोगों के पास समय का नितान्त अभाव है। इसी अभाव के कारण जल्दी पकने वाले भोजन हमारी रसोई का हिस्सा बनते जा रहे हैं। पहले घरों में महिलाएँ घंटों मेहनत करके भोजन बनाया करती थी। लेकिन आज महिलाएँ भी कामकाजी हो गई हैं। समाज में हो रहे इस परिवर्तन ने खानपान में बदलाव किया है। लेखक इस बदलाव को जहाँ अच्छा मानता है, वहीं उसके बुरे पक्ष को भी उजागर करता है।

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